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लेखनी प्रतियोगिता -05-Jun-2023 "यादों की सौगात "

 "यादों की सौगात"

बचपन से लेकर जीवन के अंत तक 
हम सब यादों के चक्रव्यूह में कैद हुए रहते हैं, 
कुछ यादें खट्टी मीठी, 
तो कुछ धुँधली होती जहन में पड़ी 
तो कुछ वो यादें
जो किसी व्यक्ति या फिर
किसी घटना का स्मरण होते ही
तरोताज़ा सी हमारी आँखों के सामने
आ जाती है, 
लगता है जैसे कल की ही बात हो...
वो यादें ही 
कभी तो खुशियों की सौग़ात होती है 
तो कभी ज़ार ज़ार करती हमारी पीड़ा बढ़ाती
हमारे अतीत को खरोचती
लाख कोशिश करने पर भी 
हमको कुरेदना कहाँ छोड़ती है, 
कभी पलकों को तर- ब-तर कर,
तो कभी वो यादें.... 
खुशियों के लम्हों में ज़िंदगी के हिलोरे लेती हुई 
जज़्बातों का एक पुलंदा बाँध 
सिमटने को तैयार नहीं होती,
सैलाब सी उमड़ती घुमड़ती
ठहरने का नाम ही नहीं लेती
खुलते बंद होते दरवाज़ों सी
हमारे हृदय के अंदर आती जाती रहती.... 
तो कभी ये यादें
टूटती सांसों सी धीमी धीमी चलती
तो कभी धागों सी उलझती 
और हृदय में द्वंद्व पैदा करती,
ज़िंदगी को ऐसे उधेड़ती
कि दुबारा बुनना ही मुश्किल हो जाता
यादें मन की पीड़ा को कहाँ समझ पाती 
वो कहां किसी पिंजरे में कैद हो पाती
वो बिना किसी लगाम
सरपट दौड़ लगाती.... 
यादों की सौगातें हमारे अंदर 
किसी न किसी रूप में हर पल 
हर लम्हा जिंदा रहती, 
और ज़िंदगी उन्हीं यादों में
कभी कटती, कभी गुज़रती
तो कभी जी भर के जी ली जाती
कभी अपनों की यादों में 
तो कभी उनकी तू चले गए छोड़कर
जीवन का हर लम्हा 
यादों की सौगात ही तो है....!! 

मधु गुप्ता "अपराजिता"



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22 Comments

Punam verma

06-Jun-2023 09:47 AM

Very nice

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Thank you so much🙏🙏

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Abhinav ji

06-Jun-2023 09:09 AM

Very nice 👍

Reply

Thank you so much🙏🙏

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धुंधली,,, बढ़ाती,, अतीत,,, द्वंद्व,,, आदि शब्द सही करें जी

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आगे से पूरा ध्यान रखूंगी दो बार पढ़ने के बाद ही post करूँगी 🙏🙏😊😊आप मेरी कविता को अच्छे से पढ़ते है और मेरी गलतियों को बताते हैं इसके लिये तह दिल से शुक्रिया🙏🙏

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